Wednesday, September 17, 2025

नेपाल के बाद अब फ्रांस में भयानक हिंसा, 200 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

राष्ट्रपति मैक्रों के विरोध में उतरे सैकड़ों लोग

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फ्रांस
नेपाल में हिंसक प्रदर्शन का भयावह रूप

पेरिस (एजेंसी) (AkhandBharatHNKP.Com)। नेपाल के बाद अब फ्रांस की सड़कों पर भयानक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ में फ्रांस की सड़कों पर सैकड़ों लोगों की भीड़ उतर आई है। गुस्साई भीड़ ने हिंसा, आगजनी और तोडफ़ोड़ शुरू कर दिया। फ्रांस में यह हिंसा तब फैली जब मैक्रों ने देश में नए प्रधानमंत्री का ऐलान किया। इससे भारी बवाल मच गया।
फ्रांस के आंतरिक मंत्री ने बताया कि देशभर में नियोजित विरोध प्रदर्शन के पहले ही कुछ घंटों में लगभग 200 गिरफ्तारियां की गईं। प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को पेरिस और फ्रांस के अन्य हिस्सों में सड़कों को जाम कर किया और भयानक आगजनी की। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले दागे। वे राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों पर दबाव डालने की कोशिश कर रहे थे। ताकि उनके द्वारा नियुक्त नए प्रधानमंत्री को आग का तोहफा दिया जा सके। एक प्रदर्शनकारी ने पास दीवार पर लिखा, मैक्रों और तुम्हारी दुनिया…दफा हो जाओ! यह विरोध आंदोलन के तहत हो रहा है। सब कुछ बंद करो। फ्रांस में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। जबकि सड़कों पर भारी पुलिस बल तैनात है।
फ्रांस की सड़कों पर कम से कम 80 हजार पुलिस बल तैनात हैं। इसके बावजूद आंदोलन में भारी उथल-पुथल है। हालांकि यह आंदोलन अपने घोषित लक्ष्य सब कुछ बंद करो को पूरी तरह हासिल नहीं कर पाया। पहले यह आंदोलन ऑनलाइन शुरू हुआ और तेजी से फैल गया। इसने देशभर में भारी अव्यवस्था पैदा की और 80,000 पुलिसकर्मियों की असाधारण तैनाती को भी चुनौती दी। भीड़ ने कई जगह बैरिकेड हटा दिए। इसके बाद पुलिस ने तेजी से गिरफ्तारियां कीं। फ्रांस के आंतरिक मंत्री ब्रूनो रेटैलो ने बताया कि पश्चिमी शहर रेन में एक बस को आग के हवाले कर दिया गया और दक्षिण-पश्चिम में एक पावर लाइन को नुकसान पहुंचाया। इसके बाद ट्रेनें ठह हो गईं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शनकारी विद्रोह का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री को हटाए जाने के बाद भड़का आंदोलन

प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बेयरू को संसद में विश्वास मत हारने के बाद पद से हटा दिया गया और उनकी जगह मंगलवार को सेबास्टियन लेकोर्नू को प्रधानमंत्री बनाया गया। इसके दो दिन बाद ही हजारों प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया पर आह्वान करने के बाद देशभर में आंदोलन शुरू कर दिया। ब्लोकों तू आंदोलन गर्मियों के दौरान सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड चैट्स में बिना किसी स्पष्ट नेतृत्व के वायरल रूप से फैल गया। इसकी मांगों की सूची लंबी है, जिनमें से कई पूर्व प्रधानमंत्री बेयरू द्वारा पेश किए गए सख्त बजट प्रस्तावों के विरोध में हैं, साथ ही आर्थिक असमानता को लेकर भी नाराज़गी है। हड़तालों, बहिष्कारों, रोड ब्लॉक और अन्य विरोध प्रदर्शनों का ऑनलाइन आह्वान किया गया था, जिसमें हिंसा से बचने की भी अपील की गई थी। ब्लॉक एवरीथिंग आंदोलन की अचानक और व्यापक प्रतिक्रिया ने 2018 के येलो वेस्ट आंदोलन की याद दिला दी। उस समय ईंधन करों में वृद्धि के विरोध में कामगार ट्रैफिक सर्कलों में डेरा डालकर विरोध कर रहे थे और उन्होंने हाई-विजिबिलिटी जैकेट पहनी हुई थी। यह आंदोलन जल्दी ही राजनीतिक, सामाजिक, क्षेत्रीय और पीढ़ीगत विभाजनों को पार कर गया और आर्थिक अन्याय व मैक्रों के नेतृत्व के खिलाफ राष्ट्रीय आक्रोश का रूप ले लिया।

प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प

पेरिस में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं। इस दौरान कई कचरे के डिब्बों में आग लगा दी गई। सरकार द्वारा ब्लॉक एवरीथिंग अभियान के तहत देशभर में 80,000 पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति मैक्रों के नेतृत्व और सख्त आर्थिक नीतियों से नाराज़ हैं और देशभर में गतिविधियां बाधित करने की योजना बना रहे हैं। पेरिस पुलिस प्रीफेक्चर ने बताया कि 75 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका था, और दिनभर में प्रदर्शन और रोड ब्लॉक जारी रहने की आशंका है।

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