जम्मू.जम्मू-कश्मीर में 150 साल पुरानी दरबार मूव परंपरा को एक बार फिर से बहाल करने की योजना बनाई जा रही है। उमर अब्दुल्ला की सरकार इस ऐतिहासिक परंपरा को पुनः शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। सूत्रों के अनुसार, आगामी कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है और सरकार दरबार मूव परंपरा की बहाली का निर्णय ले सकती है।
दरबार मूव की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
दरबार मूव परंपरा की शुरुआत 1872 में डोगरा राजवंश के महाराजा रणबीर सिंह द्वारा की गई थी। उस समय, सर्दियों के दौरान जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से जम्मू स्थानांतरित की जाती थी, और गर्मियों में फिर से श्रीनगर लौटाई जाती थी। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य अत्यधिक ठंड और गर्मी से बचाव करना था। दोनों शहरों में राजधानी के हस्तांतरण से व्यापारिक गतिविधियों में भी काफी तेजी आती थी और दोनों क्षेत्रों में आर्थिक उन्नति होती थी।
दरबार मूव की बहाली का उद्देश्य:
2021 में एलजी मनोज सिन्हा द्वारा दरबार मूव को समाप्त कर दिया गया था, जिससे जम्मू में व्यापारिक गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। दरबार मूव की बहाली को लेकर उमर अब्दुल्ला सरकार का मानना है कि इसके बंद होने से जम्मू के आर्थिक हितों को नुकसान हुआ है। इसलिए, सरकार अब इस परंपरा को फिर से शुरू करके जम्मू के व्यापार को पुनर्जीवित करने की योजना बना रही है। जम्मू के व्यापारियों और आम जनता ने भी इस परंपरा की बहाली की मांग की है, क्योंकि इससे छह महीने के लिए जम्मू में व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता था।
आगे का रास्ता:
उमर अब्दुल्ला सरकार द्वारा दरबार मूव की बहाली से न केवल जम्मू-कश्मीर की ऐतिहासिक परंपरा को फिर से जीवंत किया जाएगा, बल्कि इससे राज्य के दोनों प्रमुख शहरों के बीच संतुलित आर्थिक विकास भी सुनिश्चित होगा। आगामी कैबिनेट बैठक में इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा, जिसके बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ने की संभावना है।