नई दिल्ली: टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन और देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने का नेतृत्व करने वाले रतन टाटा का हाल ही में निधन हो गया। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। रतन टाटा ने अपने जीवन में न केवल व्यापार जगत में अपना नाम स्थापित किया, बल्कि समाजसेवा और जनहित में किए गए कार्यों के लिए भी वे हमेशा याद किए जाएंगे।
उनके निधन के बाद अब उनकी वसीयत का खुलासा हुआ है, जिसमें उन्होंने अपनी 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के वितरण के प्रावधान किए हैं। अपनी वसीयत में रतन टाटा ने चार व्यक्तियों को अपनी संपत्ति का जिम्मेदार बनाते हुए, उन्हें वसीयत लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी है। इन चारों का नाम फिलहाल गोपनीय रखा गया है, लेकिन यह तय है कि वे ही टाटा की संपत्ति और उनकी इच्छाओं के अनुरूप काम करेंगे।
वसीयत में सबसे खास बात यह है कि रतन टाटा ने अपने प्यारे जर्मन शेफर्ड कुत्ते ‘टीटो’ की देखभाल के लिए विशेष प्रावधान किए हैं। उन्होंने टीटो की “असीमित” देखभाल सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा हिस्सा छोड़ा है। यह पहली बार है जब किसी भारतीय उद्योगपति ने अपनी वसीयत में इस तरह का प्रावधान किया है, जो न केवल उनके पालतू के प्रति उनके प्यार को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि जानवरों के प्रति उनकी संवेदनशीलता कितनी गहरी थी।
हालांकि पश्चिमी देशों में पालतू जानवरों के लिए संपत्ति छोड़ने के कई उदाहरण हैं, लेकिन भारत में यह पहला मामला है। रतन टाटा का यह कदम भारत में इस विषय पर नई बहस को जन्म दे सकता है और समाज में पालतू जानवरों के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता को बढ़ावा दे सकता है।