कोरबा (एजेंसी) (AkhandBharatHNKP.Com) छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस बिभु दत्त गुरू की डबल बैंच न्यायपीठ ने स्पष्ट कर दिया है कि भू-विस्थापितों को हर खाते में रोजगार और पुनर्वास प्रदान करने के लिए पूर्व जारी एकलपीठ का आदेश 12/11/2008 ही सही है और इसके लिए SECL एसईसीएल बाध्य है।
SECL एसईसीएल द्वारा एकल पीठ में दिए गए उक्त आदेश के विरुद्ध याचिका लगायी गई थी और कोल इंडिया पालिसी 2012 के अनुसार रोजगार देने की अपनी नीति को जायज बताया गया था, किंतु छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की डबल बैंच नेSECL एसईसीएल की याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि 1991 की पुनर्वास नीति जिसे मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति कहा जाता है उसके अनुसार ही रोजगार व पुनर्वास दिया जाना होगा।
ऊर्जाधानी भूविस्थापित संगठन ने जताया आभार
ऊर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति व अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने उच्च न्यायालय द्वारा भू-विस्थापित परिवारों के पक्ष में दिये गए फैसले पर आभार व्यक्त कर कहा है कि SECL एसईसीएल को उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुये हर खाते में रोजगार उपलब्ध कराया जाये।
संगठन के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप के अनुसार कोरबा जिले के चारों एरिया के अलावा SECL एसईसीएल की सभी क्षेत्र में वर्ष 2004 से लेकर 2009-10 में भूमि अधिग्रहण किया गया था और उस समय मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ आदर्श पुनर्वास नीति 1991 लागू थी, किंतु रोजगार में कटौती के फार्मूला पर कोल इंडिया पालिसी 2012 के अनुसार 2 एकड़ में एक रोजगार को लागू कर लिया गया था, जिसके कारण छोटे खातेदारों को नुकसान हो रहा था। इसके खिलाफ सभी क्षेत्रों के किसानों ने अलग-अलग याचिका लगाई थी, जिसे उच्च न्यायालय ने समाहित कर एक साथ सुनवाई पूर्ण कर निर्णय दिया है जिससे भू-विस्थापित परिवारों में आशा की किरण जागी है और न्यायपालिका पर विश्वास बढ़ा है। उन्होंने कहा किSECL एसईसीएल प्रबंधन राज्य व प्रशासन की मदद लेकर आंदोलन को कुचलने का काम कर रही है, ऐसे समय में उच्च न्यायालय के फैसले से राहत मिल सकती है।
रिट याचिकाकर्ताओं के मामले में, 1991 की नीति ही मान्य
शासकीय अधिवक्ता संघर्ष पांडे ने रिट न्यायालय में दायर रिटर्न का हवाला देते हुए तर्क दिया कि जब भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत अधिसूचना जारी की गई थी, तब 1991 की नीति लागू थी, तथापि, जब अधिग्रहण की कार्यवाही को अंतिम रूप दिया गया, तब पुनर्वास नीति पर पुनर्विचार किया गया। SECL एसईसीएल को 1991 या 2007 की वैधानिक रूप से लागू पुनर्वास नीति को दरकिनार करने का कोई अधिकार नहीं है। हालाँकि, राज्य नीति में प्रदान किए गए लाभों के अलावा, एसईसीएल अन्य लाभ भी प्रदान कर सकता है जिनका उल्लेख राज्य नीति में नहीं है। अतः, रिट याचिकाकर्ताओं के मामले में, 1991 की नीति ही मान्य होगी।SECL