बनोरा आश्रम में गूंजा || अघोरान्ना परो मन्त्रो नास्ति तत्वं गुरो परम् ||
कोरबा/ रायगढ़ (AkhandBharatHNKP.Com) || परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी का अवतरण दिवस भाद्रपद शुक्ल सप्तमी 30 अगस्त 2025 दिन शनिवार को अघोर गुरुपीठ ब्रम्हनिष्ठालय ग्राम बनोरा के प्रागंण में औघड़ संत परम पूज्य सदगुरु श्री प्रियदर्शी राम जी के पावन सानिध्य में श्रद्धा, सेवा और समर्पण के साथ मनाया गया। सर्वप्रथम परम पूज्य सदगुरु श्री प्रियदर्शी राम जी के द्वारा श्री गुरुचरण पादुका पूजन किया गया ,इसके बाद सामूहिक आरती व सामूहिक गुरुगीता का पाठ संपन्न हुआ।
प्रदेश सहित अन्य प्रांतों के विभिन्न जिलों से आए भक्तो ने परम पूज्य अघोरेश्वर के अवतरण दिवस पर बनोरा आश्रम में स्थित उपासना स्थल में परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी की प्रतिमा के समक्ष नतमस्तक होकर पूजा अर्चना की । परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम का आशीर्वाद लेने के लिए भक्तों का सिलसिला जारी रहा, वहीं मां गुरु निवास में परम पूज्य सदगुरु श्री प्रियदर्शी राम जी का दर्शन कर भक्तो ने आशीर्वाद प्राप्त किया।
परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम के जन्मोत्सव को लेकर प्रातः से अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा में विविध कार्यक्रमो का आयोजन किया गया। प्रातः 8 बजे परम पूज्य सदगुरु श्री प्रियदर्शी राम जी के द्वारा श्री गुरु चरण पादुका पूजन किया गया उसके बाद 8.30 बजे सामूहिक आरती की गई । प्रातः 8.40 से 9.30 बजे तक सामूहिक गुरु गीता के पाठ के बाद प्रातः 10 बजे से अपरान्ह 4 बजे तक डभरा की भजन मंडली द्वारा अघोरेश्वर से जुड़े भक्ति गीतों की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। भक्तो ने दोपहर 12.00 से शाम तक सामूहिक भोजन प्रसाद ग्रहण किया। हर बार की तरह इस बार भी डभरा आश्रम के सेवादारों ने बनोरा आकर भोजन प्रसाद भंडारा में अपनी सक्रिय सहभागिता निभाई।
परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी के अवतरण दिवस पर उनके प्रिय शिष्य परम पूज्य सदगुरु श्री प्रियदर्शी राम जी के आशीर्वचन का श्रवण सैकड़ो भक्तों ने किया।आशीर्वचन समाप्त होने के बाद एक बार फिर मां गुरु निवास में परम पूज्य सदगुरु श्री प्रियदर्शी राम जी विराजमान हुए, जहां भक्तो ने कतारबद्ध होकर दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त किया। परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी के अवतरण दिवस पर समूचे बनोरा आश्रम में मां गुरू के प्रति अपार भक्ति और समर्पण का वातावरण बना रहा।
परम पूज्य सदगुरु श्री प्रियदर्शी राम जी के आशीर्वचन का प्रमुख अंश
- परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी ने श्मशान विहित अघोर साधना को समाज विहित बनाया।
- सभी मानव जाति को सामाजिक बुराइयों से दूर रहने के लिए प्रेरित किया।
- कुष्ठ रोगियों को भार नहीं भाई माना, इसलिए कुष्ठ रोगी आश्रम की स्थापना की।
- मत्यु सत्य है इसलिए अच्छे बुरे कर्मों के लेखे जोखे के हिसाब से मृत्यु उपरांत गति मिलती हैं
- ज्ञानी को विनम्र,सरल होना चाहिए क्योंकि ज्ञान के क्षेत्र में अहंकार या दिखावे के लिए कोई जगह नहीं है।
- संत अपने आचार व्यवहार वाणी से समाज का भला करते हैं, भक्ति में अमीरी ग़रीबी नहीं भाव की ज़रूरत होती है।
- इंद्रियों पर नियंत्रण के लिए आहार विहार का ध्यान रखना ज़रूरी है। समयबद्ध दिनचर्या अपनाने से जीवन अनुष्ठान हो जायेगा।
- “मात्रव्य आहार विहार पद्धति को अपनाना है। ईश्वर के आश्रित होने पर ईश्वर स्वयं भोजन का इंतज़ाम करते हैं, महात्मा बुद्ध को खीर खिलाने वाली सुजाता का उनकी तपस्या में सबसे बड़ा योगदान है।
- समाज में दहेज प्रथा के प्रभाव का परम पूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु जी ने अपने समय काल के दौरान विरोध किया था, समाज के हर तबके से जुड़े लोगों को दहेज मुक्त विवाह के लिए परम पूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु ने प्रेरित किया।
- कम उम्र में विधवा हुई युवतियों के पुनर्विवाह को लेकर भी परम पूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु जी ने समाज में जागरूकता फैलायी, विधवा विवाह को पुण्य का काम मानते हुए भगवान की बड़ी भक्ति के तौर पर निरूपित किया।
- जीवन में ध्यान करने से ज़्यादा ध्यान देना ज़रूरी है। मान सम्मान प्रलोभन में फंसकर विकार उत्पन्न होते हैं, सत्य का बोध नहीं होता, ध्यान देने से हम विकृतियों विकारों से दूर हो सकते हैं।
- पूजा के बाद फूल पत्ती को नदी तालाब में विसर्जित करना शास्त्र सम्मत नहीं है, पूजा के बाद उतारे हुए फूल को पेड़ की जड़ों में डालें, पैर में ना पड़ने दें।
- भावना के अनुसार हमारा कर्म अच्छा और बुरा होता है। स्वार्थ और परमार्थ के लिए किये गये कर्म ही अच्छे बुरे होते हैं, कर्म में भी भाव की प्रधानता अहम होती है।
- सृष्टि में जो भी परमात्मा ने बनाया है वो अच्छा है, अमीरी ग़रीबी को लेकर उपेक्षा करने की बजाय सबको साथ लेकर चलना ज़रूरी है।
- चरणों को ध्यान देने से कभी भटकाव नहीं आयेगा, कभी ठोकर नहीं लगेगी। ज़मीनी हक़ीकत से दूर हवाबाज़ी से लोग अपने जीवन को कष्ट में डाल देते हैं।
- जीवन भर पाप करने वाला अंत समय में राम का नाम उच्चारण कर लेता है, तो उसे मुक्ति मिलती है। जैसे रूई का पहाड़ एक तीली से भस्म हो जाता है ठीक वैसे ही इंसान जीवन भर गलतियां करने के बावजूद अंत समय में अपने ईष्ट, अपने गुरू, अपने ईश्वर का नाम लेता है तो उसके पाप का पहाड़ भस्म हो जाता है।
- परम पूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु जी का समाज को संदेश रहता था कि मृत्यु के पथ पर जो व्यक्ति चला गया, वो निराकार हो जाता है, वो भौतिकवादी वस्तुओं का उपयोग नहीं कर सकता, इसलिए परिजनों की मृत्यु के बाद किये जाने वाले आडंबर का कोई औचित्य नहीं हैं।
- परम पूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु जी ने भटके हुए मनुष्य को अच्छा जीवन कैसे मिले, इस विषय पर उनका जीवन दर्शन आधारित रहा। समाज में जो लोग मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ जीवन जीना चाहते हैं, उन्हें संतों महात्माओं और महापुरुषों के विचारों से जुड़ना होगा।
- निरंतर अभ्यास से ब्रह्रज्ञान को आत्म तत्व की प्राप्ति कर सकते हैं। मंत्र जाप कल्याणकारी है, गुरू का महत्व गुणधर्म उपदेश रहन सहन जीवन शैली को समझकर, आत्मसात करके प्राप्त कर सकते हैं, अन्यथा पूजा, तपस्या, आराधना अधूरी रह जायेगी।
अघोरेश्वर महाप्रभु चमत्कार पर विश्वास नहीं करते थे
परम पूज्य सदगुरु श्री प्रियदर्शी राम जी ने अपने आशीर्वचन में बताया कि जशपुर क्षेत्र में परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम जी निजी सेवा का अवसर प्राप्त हुआ था, हमें आदिवासी अंचल में सेवा का गुरू आदेश हुआ, हमने उनके आदेश का पालन करते हुए आदिवासी क्षेत्रों में सेवा की। अघोरेश्वर महाप्रभु चमत्कार पर विश्वार नहीं करते थे, उनमें कोई बनावटीपन नहीं था, वे विशुद्ध निर्मल मन थे। जशपुर क्षेत्र में दवाओं से लोगों का ईलाज करते थे, लोगों का कल्याण करते थे मगर श्रेय बिलकुल नहीं लेते थे।
अस्पताल व आश्रमों में हुआ फलों का वितरण
पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम के जन्मोत्सव पर अघोर पंथ से जुड़े अनुयाइयों ने प्रातः के जी एच चिकित्सालय मेडिकल कॉलेज, मातृ शिशु अस्पताल में मौजूद मरीजों सहित मुखबधिर आश्रम, घरौंदा आश्रम, वृद्धा आश्रम, कुष्ट आश्रम जुर्डा में निवासरत लोगों के मध्य प्रसाद के रूप में फलों का वितरण किया गया ।