लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा मोड़ तब आया जब समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने आगामी विधानसभा उपचुनाव में सभी 9 सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया। यह निर्णय न केवल गठबंधन के भीतर तनाव को उजागर कर रहा है, बल्कि ‘इंडिया’ गठबंधन की एकता पर भी सवाल खड़ा कर रहा है।
अखिलेश यादव ने बुधवार देर रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक लंबी पोस्ट के जरिए यह जानकारी दी कि उनकी पार्टी सभी 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेगी। हालांकि, अखिलेश ने यह भी साफ किया कि गठबंधन बरकरार रहेगा और कांग्रेस के उम्मीदवार सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ सकते हैं।
कांग्रेस-सपा के बीच खींचतान
उत्तर प्रदेश के इन 9 सीटों पर 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव को लेकर काफी समय से कांग्रेस और सपा के बीच सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान चल रही थी। कांग्रेस ‘इंडिया’ गठबंधन में बराबरी की हिस्सेदारी की उम्मीद कर रही थी, जबकि सपा ने अपनी स्थिति को अधिक मजबूत करने की दिशा में कदम उठाया है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद, सपा ने गठबंधन में अपने दबदबे को और बढ़ा लिया है।
‘इंडिया’ गठबंधन में दरार?
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले कांग्रेस और सपा ने ‘इंडिया’ गठबंधन के तहत एकजुटता दिखाई थी, लेकिन हालिया घटनाक्रम से गठबंधन में दरारें उभरती नजर आ रही हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी दोनों पार्टियों के बीच खींचतान देखने को मिली थी, और अब यूपी में यह मुद्दा फिर से गरमाता दिख रहा है।
सपा का प्रदर्शन और कांग्रेस की चुनौतियां
अखिलेश यादव के इस फैसले का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सपा ने हालिया चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया है। लोकसभा चुनाव 2024 में सपा ने 63 सीटों पर चुनाव लड़ा और 37 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस केवल 6 सीटों पर ही विजय प्राप्त कर सकी। इससे अखिलेश यादव को गठबंधन के भीतर अपनी स्थिति मजबूत करने का अवसर मिला है।
उपचुनाव के नतीजे और गठबंधन की दिशा
यूपी विधानसभा उपचुनाव के नतीजे न केवल सपा और कांग्रेस के बीच समीकरणों को प्रभावित करेंगे, बल्कि इससे ‘इंडिया’ गठबंधन की भविष्य की रणनीति पर भी असर पड़ेगा। अखिलेश यादव का यह फैसला यूपी की राजनीति में बड़ी हलचल पैदा कर रहा है, और अब सभी की नजरें उपचुनाव के नतीजों पर टिकी हुई हैं।
अगले महीने होने वाले इन चुनावों के नतीजे न केवल राज्य की राजनीतिक स्थिति को बदल सकते हैं, बल्कि ‘इंडिया’ गठबंधन के भविष्य की दिशा भी तय कर सकते हैं।