Monday, August 4, 2025

हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की जीवनशैली, किसानों की आस्था और प्रकृति का प्रतीक : मुख्यमंत्री

हरेली पर्व किसान, खेत-खलिहान और गोधन की पूजा का अवसर : विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह

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Chief Minister Vishnu Dev Sai and Revenue Minister Tankaram Verma

रायपुर (AkhandBharatHNKP.Com)। छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोकसंस्कृति और कृषि परंपरा से जुड़े पर्व हरेली के पावन अवसर पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा के निवास कार्यालय में पारंपरिक उल्लास और श्रद्धा के साथ कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कार्यक्रम में सम्मिलित होकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया, साथ ही गौरी-गणेश, नवग्रहों और कृषि यंत्रों की विधिवत पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना की। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, उपमुख्यमंत्री द्वय अरुण साव और विजय शर्मा, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, रायपुर की महापौर श्रीमती मीनल चौबे सहित अनेक जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हरेली पर्व छत्तीसगढ़ की जीवनशैली, मेहनतकश किसानों की आस्था और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। हमारी सरकार किसानों के कल्याण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान और पारंपरिक मूल्यों को संरक्षित रखने के लिए निरंतर प्रयासरत है। बच्चों में गेड़ी जैसी पारंपरिक विधाओं के प्रति आकर्षण बनाए रखना हमारी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा है। हमें चाहिए कि हम ऐसे पर्वों के माध्यम से अपनी नई पीढ़ी को भी छत्तीसगढ़ी संस्कृति से जोड़ें। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि हरेली पर्व किसान, खेत-खलिहान और गोधन की पूजा का पर्व है। मान्यता है कि आज के दिन शिव-पार्वती स्वयं भू-लोक में आकर किसानों की खेती-किसानी को देखने आते हैं। हरेली से ही छत्तीसगढ़ में त्योहारों की श्रृंखला की शुरुआत होती है।
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि हरेली छत्तीसगढ़ की आत्मा से जुड़ा पर्व है। यह हमारी धरती, परिश्रम और परंपरा के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह पर्व हमारे किसानों की आस्था और प्रकृति के साथ उनके गहरे संबंध को दर्शाता है। राजस्व मंत्री श्री टंक राम वर्मा ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के हित में निरंतर कार्य कर रही है। हरेली जैसे पर्व हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं और कृषि संस्कृति को जीवंत रखने की प्रेरणा देते हैं। इस पर्व में गेड़ी चलाने की प्रतियोगिता बच्चों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहती है। साथ ही गोधन को पौष्टिक आहार देकर ग्रामीणजन पशुधन के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं। इस अवसर पर पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन, छत्तीसगढ़ी लोक गीतों की प्रस्तुति, गेड़ी चढऩे की प्रतियोगिता और लोकनृत्यों ने पूरे माहौल को जीवंत कर दिया। कार्यक्रम स्थल छत्तीसगढ़ी संस्कृति और लोकपरंपरा की झलक से सराबोर हो गया। कार्यक्रम में पारंपरिक कृषि औजारों की पूजा कर प्रकृति और कृषि परंपरा के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की और छत्तीसगढ़ की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को सहेजने का संकल्प दोहराया।

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