गरियाबंद: ग्राम डोंगरीगुड़ा में प्रशासन की आंखों में धूल झोंकते हुए एक फार्मासिस्ट ने अपने घर में अवैध अस्पताल चला रखा था। देवभोग तहसीलदार चितेश देवांगन की टीम धान के अवैध भंडारण की सूचना पर जब जांच करने पहुंची, तो उन्हें तीन कमरों में चल रहे इस अस्पताल का पता चला।
जब तहसीलदार ने मकान मालिक हेमलाल नागेश से धान के बारे में पूछताछ की, तो उसने सहयोग करने के बजाय उल्टे जवाब दिए। इसी दौरान तहसीलदार की नजर अवैध क्लिनिक पर पड़ी। पूछताछ के दौरान हेमलाल ताला खोलकर भाग निकला।
तहसीलदार ने बीएमओ की मौजूदगी में बिना लाइसेंस के चल रहे इस अस्पताल को सील कर दिया, जहां गर्भपात की प्रतिबंधित दवाएं और प्रेगनेंसी किट बरामद हुईं। यह कार्रवाई अवैध चिकित्सा प्रथाओं के खिलाफ प्रशासन के सख्त कदम को दर्शाती है।
एक लाख रुपए मूल्य की मिली दवा
बड़ी गड़बड़ी की आशंका पर तहसीलदार ने तत्काल सरपंच, बीएमओ व पुलिस को सूचित किया. सभी की मौजूदगी में मकान की विधिवत जांच हुई तो तीन कमरों में अवैध रूप से संचालित अस्पताल पाया गया. इसके साथ गर्भपात में इस्तेमाल होने वाली प्रतिबंधित दवा के साथ गर्भ जांच किट समेत 50 प्रकार की करीबन एक लाख रुपए मूल्य की दवा मिली. इसके अलावा माइक्रोस्कोप मशीन, खून जांच व ड्रेसिंग किट, बीपी, शुगर जांच के मशीन भी पाए गए. इस पर विधिवत जब्ती बनाकर मकान को सील कर दिया.
कार्रवाई की खुल गई पोल
दो माह पहले कलेक्टर ने अनुविभाग प्रशासन को अवैध क्लिनिकों जांच कर कार्रवाई की जवाबदारी दिया था. एसडीएम तुलसीदास के नेतृत्व में अगस्त अंतिम सप्ताह से लेकर सितम्बर पहले सप्ताह तक देवभोग में संचालित दो अवैध क्लिनिक को स्वास्थ्य अमले की मौजूदगी में व सितलीजोर में संचालित क्लिनिक को एसडीएम ने ग्राम प्रमुख की मौजूदगी में सील किया गया था. ताबड़तोड़ कार्यवाही के जरिए जिला प्रशासन के समक्ष अवैध क्लिनिक के सफाई का दावा किया गया था, लेकिन हकीकत में अभी भी क्षेत्र में 20 से ज्यादा अवैध क्लीनिक संचालित बताए जा रहे हैं.

