Saturday, December 21, 2024

निवेशकों के 9 लाख करोड़ डूबे; शेयर मार्केट में किस वजह से आई सुनामी?

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भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को भारी गिरावट देखने को मिली। दोनों प्रमुख सूचकांक- सेसेंक्स और निफ्टी में 1-1 फीसदी से अधिक गिरावट आई। स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स 4 फीसदी तक गिर गए। सेंसेक्स टॉप 30 में सिर्फ 1 स्टॉक हरे निशान में रहा। निवेशकों के 9 लाख करोड़ डूब गए। आइए जानते हैं कि किस वजह से क्रैश हुआ भारतीय शेयर बाजार।

  1. भारतीय शेयर बाजार का मूल्यांकन भी काफी अधिक है।
  2. अक्टूबर में FPI ने रिकॉर्ड 82,479 करोड़ रुपये निकाले हैं।
  3. FPI भारतीय शेयर बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं।

भारतीय शेयर बाजार में आज भारी गिरावट देखने को मिल रही है। सेंसेक्स 930 अंक और निफ्टी 303 अंक तक गिरकर बंद हुआ। कई स्टॉक में करीब 5 तक गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स टॉप 30 में सिर्फ ICICI बैंक, नेस्ले इंडिया और इन्फोसिस में मामूली तेजी दिखी। बाकी 27 कंपनियों के शेयर लाल निशान में बंद हुए।

भारतीय शेयर मार्केट में आज की गिरावट से निवेशकों की 9 लाख करोड़ की संपत्ति स्वाहा हो गई। स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स 4 फीसदी तक गिर गए हैं। आइए जानते हैं कि भारतीय बाजार में इस सुनामी की वजह क्या है।

भारतीय बाजार और कई कंपनियों का मूल्यांकन काफी अधिक है। लेकिन, बहुत-सी कंपनियों के नतीजे उनके वैल्यूएशन को जस्टिफाई नहीं कर रहे। बजाज ऑटो, कोटक महिंद्रा बैंक और आरबीएल बैंक इसकी मिसाल हैं। इन सभी के शेयरों में तिमाही नतीजों के बाद भारी गिरावट देखने को मिली थी। रिलायंस इंडस्ट्रीज के तिमाही नतीजों से भी निवेशक खुश नहीं दिखे।

फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) भारतीय शेयर बाजार में लगातार बिकवाली कर रहे हैं। अक्टूबर में अब तक FPI ने भारतीय इक्विटी से रिकॉर्ड 82,479 करोड़ रुपये निकाले हैं। इससे पहले मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान FPI ने 65,816 करोड़ रुपये मूल्य के भारतीय शेयर बेचे थे। हालांकि, डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) खरीदारी से इस नुकसान की भरपाई हो रही, लेकिन वो अभी नाकाफी दिख रही है।

भारतीय शेयर बाजार का मूल्यांकन भी काफी अधिक है। यही वजह है कि विदेशी निवेशक चीन और हांगकांग जैसे बाजारों का रुख कर रहे हैं, जो अपेक्षाकृत सस्ते हैं। चीन के सरकार ने वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज का भी एलान किया है। साथ ही, वहां के केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में भी कटौती की है। इससे चीन का शेयर बाजार निवेश के लिए और भी ज्यादा आकर्षक बनता जा रहा है। वहीं, भारतीय बाजार डांवाडोल नजर आ रहा है।

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