दिल्ली भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग समझौते के बाद मंगलवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम अपना सीमा विवाद मिलकर सुलझाएंगे।
इंडियन आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को इस समझौते को अच्छा कदम बताया। उन्होंने कहा- सबसे पहले दोनों देशों को दोबारा विश्वास पैदा करना होगा। इसके लिए सैनिकों का एक-दूसरे को देखना और बातचीत करना जरूरी है। पेट्रोलिंग के जरिए इसके लिए सही माहौल मिलेगा।
भारत और चीन ने एक दिन पहले 21 अक्टूबर को पेट्रोलिंग पर सहमति जताई थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन में सीमा पर पेट्रोलिंग सिस्टम को लेकर समझौता हुआ है। इससे मई, 2020 (गलवान टकराव) से पहले की स्थिति वापस आएगी। यह सकारात्मक है।
भारत और चीन के बीच समझौता होने के बाद आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, “हम दोबारा भरोसा हासिल करने की प्रोसेस में हैं। इसमें वक्त लगेगा।
सेनाओं का पीछे हटना, बफर जोन मैनेजमेंट भी इसके लिए अहम है। हम भरोसा कैसे पैदा करेंगे? जब हम एक-दूसरे को सुन सकेंगे और एक-दूसरे को संतुष्ट कर सकेंगे। हम यह भरोसा जता पाएंगे कि जो बफर जोन बनाए गए हैं, हम उसमें जाएंगे।
पेट्रोलिंग से आपको ये प्रोसेस करने में आसानी होगी। दोनों पक्षों को एक-दूसरे को समझाने का मौका मिलेगा। एक बार भरोसा जम गया तो इसके बाद अगला कदम उठाया जाएगा।”
पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए चीन और भारत राजी हो गए हैं। यानी अब चीन की आर्मी उन इलाकों से हटेगी, जहां उसने अतिक्रमण किया था।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने सोमवार को बताया था कि भारत-चीन के सीमावर्ती इलाकों में पेट्रोलिंग के साथ 2020 के बाद उठे मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार हुआ है। इस पर दोनों देश कदम उठाएंगे।
अप्रैल 2020 में चीन ने एक सैन्य अभ्यास के बाद पूर्वी लद्दाख के 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था। 2022 तक 4 इलाकों से चीन की सेना पीछे हट गई। दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक पर भारतीय सेना को पेट्रोलिंग नहीं करने दी जा रही थी।
अप्रैल 2020 में एक सैन्य अभ्यास के बाद चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में कम से कम 6 इलाकों में अतिक्रमण किया था, लेकिन दो साल बाद चीन की पीएलए 4 स्थानों से पीछे हट गई थी। दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक के फ्रिक्शन पॉइंट्स पर गश्त को लेकर सहमति नहीं बनी थी और भारतीय सेना को कई इलाकों में रोका जा रहा था। अब भारत सभी जगहों पर पेट्रोलिंग कर सकेगा।
1 अक्टूबर को भारत के आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि चीन के साथ भारत के हालात स्थिर हैं, लेकिन ये सामान्य नहीं हैं, काफी संवेदनशील हैं। चीन के साथ हमें लड़ना भी है, सहयोग करना है, साथ रहना है, सामना करना है और चुनौती भी देनी है। उन्होंने कहा था कि भारत और चीन के बीच अप्रैल से अब तक कमांडर लेवल की 17 बैठकें हुई हैं। इन बैठकों में हमने कई मुद्दों पर चर्चा की है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने 12 सितंबर को स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा में एक समिट के दौरान कहा था कि चीन के साथ विवाद का 75% हल निकल गया है। विदेश मंत्री ने ये भी कहा कि सीमा पर बढ़ते सैन्यीकरण का मुद्दा अभी भी गंभीर है।
जयशंकर ने कहा कि 2020 में चीन और भारत के बीच गलवान में हुई झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बुरी तरह प्रभावित किया है। सीमा पर हिंसा होने के बाद कोई यह नहीं कह सकता कि बाकी रिश्ते इससे प्रभावित नहीं होंगे।
हालांकि, 25 सितंबर को न्यूयॉर्क में एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में उन्होंने 75% विवाद हल होने वाले अपने बयान को लेकर सफाई दी। उन्होंने कहा, ‘मैंने यह बात सिर्फ सैनिकों के पीछे हटने के संदर्भ में कही थी।
सितंबर की शुरुआत में विदेश मंत्रालय ने भारत-चीन रिश्तों के मौजूदा हालात को लेकर अपडेट दिया था। उन्होंने कहा था कि बातचीत जारी रखने और वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कोऑर्डिनेशन (WMCC) बैठकों के माध्यम से तनाव को सुलझाने की कोशिशें जारी हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि विदेश मंत्री एस जयशंकर कई फोरम में लगातार चीन के साथ संबंधों पर चर्चा कर चुके हैं।