नई दिल्ली। ओडिशा में एक अद्भुत प्राकृतिक घटना में, दो शक्तिशाली एंटीसाइक्लोन ने चक्रवात दाना को इस तरह से घेरकर कमजोर किया कि यह बड़ा विनाश करने में नाकाम रहा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, एंटीसाइक्लोन—जो उच्च दबाव वाले क्षेत्र होते हैं—ने चक्रवात दाना के चारों ओर से हवा के दबाव को बढ़ाकर उसकी ऊर्जा को क्षीण कर दिया। नतीजतन, ओडिशा में चक्रवात का प्रभाव बहुत सीमित रहा और जान-माल का बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
एंटीसाइक्लोन ने कैसे घटाई दाना की ताकत?
मौसम वैज्ञानिक उमा शंकर दास ने बताया कि यदि ये एंटीसाइक्लोन सक्रिय न होते, तो चक्रवात के कारण भारी बारिश और तेज हवाओं से ओडिशा के कई जिलों को बड़ी क्षति का सामना करना पड़ता। एंटीसाइक्लोन ने दाना के प्रभाव क्षेत्र को सीमित कर दिया, जिसके चलते बालासोर, भद्रक और मयूरभंज जिलों में ही भारी वर्षा हुई।
मैंग्रोव वन ने भी निभाई सुरक्षा की भूमिका
चक्रवात दाना ने भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के पास तट पर सुबह 1:30 से 3:30 के बीच दस्तक दी। भितरकनिका के मैंग्रोव जंगल ने चक्रवात की शक्ति को अवशोषित कर उसे और कमजोर किया, जिससे ओडिशा को व्यापक क्षति से बचाने में सहायता मिली। विशेषज्ञों का मानना है कि भितरकनिका के 209 वर्ग किलोमीटर के मैंग्रोव वन इस तरह की प्राकृतिक घटनाओं में बड़ी सुरक्षा प्रदान करते हैं।
मुख्यमंत्री ने जताया आभार
ओडिशा के मुख्यमंत्री ने इस अद्वितीय घटना पर संतोष व्यक्त किया और इसे राज्य के टीम वर्क और भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद का फल बताया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक सुरक्षा और एंटीसाइक्लोन की शक्तियों ने मिलकर चक्रवात दाना की विनाशकारी क्षमता को निष्प्रभावी कर दिया, जिससे ओडिशा की जनता एक बड़ी त्रासदी से बच गई।