नई दिल्ली (एजेंसी) (AkhandBharatHNKP.Com)। संसद के मानसून सत्र के बीच देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस्तीफा मंजूर कर लिया। यह जानकारी राज्यसभा में पीठासीन घनश्याम तिवाड़ी ने दी। धनखड़ आज सदन की कार्यवाही में भी शामिल नहीं हुए। अपने कार्यकाल के दौरान ही इस्तीफा देने वाले वह तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों को इसकी वजह बताया। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक का था। इससे पहले भी दो उपराष्ट्रपति ऐसे रहे हैं, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा दे दिया। उन्होंने 10 जुलाई को एक कार्यक्रम में कहा था, ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त, 2027 में रिटायर हो जाऊंगा।
धनखड़ ने अनुच्छेद 67(ए) के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को त्यागपत्र सौंपा। लिखा- स्वास्थ्य की प्राथमिकता और डॉक्टरी सलाह का पालन करते हुए मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं। उन्होंने पत्र में राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को भी सहयोग के लिए आभार जताया। हालांकि, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही उनका इस्तीफा प्रभावी होगा। 11 अगस्त 2022 को धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को 182 वोट मिले थे। इस समय संसद का मानसून सत्र चल रहा है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं। सत्र के बीच में पद से इस्तीफा देने वाले धनखड़ देश के पहले उपराष्ट्रपति हैं। साथ ही कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति भी हैं।
पिछले महीने कार्यक्रम के बाद धनखड़ के सीने में दर्द उठा था

25 जून को उत्तराखंड में एक कार्यक्रम के बाद जगदीप धनखड़ की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। उन्हें तुरंत नैनीताल राजभवन ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उनका चेकअप किया। धनखड़ नैनीताल में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के गोल्डन जुबली समारोह में बतौर चीफ गेस्ट पहुंचे थे। कार्यक्रम खत्म होने के बाद धनखड़ पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल के कंधे पर हाथ रखकर बाहर निकले। फिर महेंद्र पाल से गले लगकर रोने लगे। करीब 10 कदम चलने पर धनखड़ के सीने में अचानक दर्द उठा। पूर्व सांसद महेंद्र पाल और सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें संभाला था। इससे पहले जगदीप धनखड़ को 9 मार्च 2025 को अचानक सीने में दर्द की शिकायत पर एआईआईएमस दिल्ली में भर्ती कराया गया था। 12 मार्च 2025 को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था।
उपराष्ट्रपति के लिए बिहार से जेडीयू सांसद हरिवंश दौड़ में शामिल

धनखड़ के इस्तीफे के बाद उनके उत्तराधिकारी की अटकलें भी शुरू हो गई हैं। ऐसे में बिहार से जेडीयू सांसद हरिवंश भी संभावित उम्मीदवारों में देखे जा रहे हैं। वे 2020 से राज्यसभा के उपसभापति पद पर आसीन हैं। हालांकि, उनका कार्यकाल भी इसी महीने खत्म हो रहा है। उपराष्ट्रपति का इस्तीफा स्वीकार हुआ तो नया उपराष्ट्रपति चुने जाने तक राज्यसभा के उपसभापति ही सभापति (अनुच्छेद 91 के तहत) होंगे, लेकिन उन्हें उपराष्ट्रपति का पदभार नहीं मिलेगा। क्योंकि संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का प्रावधान नहीं है। राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनका पदभार उपराष्ट्रपति को मिलता है। यदि उपराष्ट्रपति का पद खाली है और राष्ट्रपति भी अनुपस्थित हैं यानी देश से बाहर हैं तो ऐसे में राष्ट्रपति का पदभार सीजेआई को दिया जाता है। पद खाली होने पर उपराष्ट्रपति कितने दिन में चुना जाए, इसकी समय-सीमा तय नहीं।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल भी रह चुके हैं जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति बनने से पहले जगदीप धनखड़ पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे। धनखड़ को 30 जुलाई 2019 को पश्चिम बंगाल का 29वां राज्यपाल नियुक्त किया गया था। इससे पहले वे एक अनुभवी वकील और राजस्थान से सांसद और विधायक भी रह चुके थे।
इन्होंने भी दिया था इस्तीफा

वीवी गिरी :- दरअसल, जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले तीसरे व्यक्ति हैं। इससे पहले, वीवी गिरि ने भी उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने 3 मई 1969 को तत्कालीन राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के निधन के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभाला था। वीवी गिरि ने 2 जुलाई 1969 को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देकर स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति चुनाव लड़ा। वह अपना कार्यकाल पूरा न कर पाने वाले पहले उपराष्ट्रपति वीवी गिरी ही थे।
भैरों सिंह शेखावत :- इसके अलावा भैरों सिंह शेखावत ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव में हारने के बाद 21 जुलाई 2007 को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। भेरों सिंह शेखावत के इस्तीफे के बाद, उपराष्ट्रपति का पद 21 दिनों तक रिक्त रहा, जिसके बाद मोहम्मद हामिद अंसारी इस पद के लिए चुने गए। हालांकि उपराष्ट्रपति आर वेंकटरमन, शंकर दयाल शर्मा और केआर नारायणन ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन राष्ट्रपति चुने जाने के बाद। कृष्णकांत एकमात्र उपराष्ट्रपति थे, जिनका पद पर रहते हुए निधन हो गया था। उन्होंने 27 जुलाई 2002 को अंतिम सांस ली थी।